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क्या आप भी खाते हैं गोलगप्पे ? हो जायें सावधान गोलगप्पे के पानी में तेजाब की मिलावट-सुभाष आनंद

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लेखक की कलम से …
गोलगप्पे के पानी को तैयार करने के लिए पानी में तेजाब का प्रयोग किया जाता है , एक लीटर पानी तैयार करने के लिए पांच ग्राम नमक का तेजाब डाला जाता है। पंजाब में रेहडी वाले केमिकल की दुकानों पर अपनी आईडी दिखाकर 20 या 25 रुपए में एक नमक के तेजाब की बोतल खरीद रहे हैं। गोलगप्पे की रेहड़ी लगाने वाले यूपी निवासी दिनेश मिश्रा ने कहा कि नमक के तेजाब के बिना पानी स्वादिष्ट नहीं बनता, पानी में खटास भी ज्यादा हो जाती है जो इमली डालकर नहीं बनती।
क्या कहते हैं डॉक्टर सेवानिवृत जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर तेजा का कहना है कि किसी भी खाने वाली चीज में एसिड का प्रयोग करना मानव जीवन के लिए घातक साबित हो सकता है, नमक का तेजाब जल्द ही हमारी किडनी पर असर डालता है और किडनी को डैमेज कर सकता है, लालच के कारण कुछ लोग नमक के तेजाब का खुला प्रयोग कर रहे हैं । विचित्र बात यह है कि फिरोजपुर में अभी तक गोलगप्पे के पानी का एक भी सैंपल नहीं लिया गया।

क्या है रजिस्ट्रेशन के नियम?
नियमों के तहत खाने पीने की चीज बेचने वाले ऐसे विक्रेताओं जिनका वार्षिक कारोबार 12 लाख से कम है उन्हें फूड सेफ्टी विभाग से रजिस्ट्रेशन करवाना जरूरी है। रजिस्ट्रेशन 5 वर्ष की अवधि तक होता है, सालाना फीस 100 रुपए लगभग है। रजिस्ट्रेशन के लिए विक्रेता को फार्म के साथ आधार कार्ड और फोटो सबमिट करने होते हैं। फूड सेफ्टी विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इससे विभाग के पास विक्रेताओं का रिकॉर्ड रहता है शिकायत करने वाले विक्रेताओं का पूरा पता नहीं बताते,वहीं ग्राहकों में जागरूकता की कमी है।

बड़े-बड़े मॉल में गोलगप्पे का पानी बेचने वाले क्या कहते हैं?
बड़े-बड़े मॉल्स में गोलगप्पे का धंधा करने वाले लोगों का कहना है कि ‘हम गोलगप्पे का पानी तैयार करने के लिए ऑर्गेनिक मसाले का प्रयोग करते हैं, जिससे किसी प्रकार की हानि नहीं होती।’ बड़े छोटे समाजसेवी संगठनों द्वारा मिलावट के विरुद्ध जल्द ही अभियान छेड़े जाने की बात कही गई है। शीघ्र ही गोलगप्पे बेचने वालों के रजिस्ट्रेशन, मिलावट, सफाई और सभी को ट्रेनिंग देने की लहर जागृत की जाएगी। वहीं शहर की अधिकतर एनजीओ चाहती है की गोलगप्पे बेचने वाले विक्रेताओं से बड़े स्तर पर सैंपलिंग की जाए ताकि दूध का दूध, पानी का पानी हो सके। लालची लोग जो लोगों की सेहत से खिलवाड़ कर रहे हैं उन्हें उचित दंड मिल सके।
स्ट्रीमलाइन वेलफेयर सभा के अध्यक्ष दीवान चंद सुखीजा कहते हैं कि आजकल गली-गली में गोलगप्पे बेचे जा रहे हैं लेकिन रेहडी वाले साफ-सफाई नहीं रखते। मक्खी मच्छर चारों तरफ भिनभिनाते हैं। लेकिन फिर भी गोलगप्पे के दीवानों की संख्या कम नहीं हो रही है। गोलगप्पे के पानी में प्रयोग होने वाले एसिड से कैंसर के केस में बढ़ोतरी हो रही है। कई राज्यों में ऐसी रिपोर्ट भी आ रही है कि पुदीने की बजाय केमिकल डाले जा रहे हैं जो आंतों के लिए सुरक्षित नहीं है।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार गोलगप्पे के पानी को तैयार करने के लिए सबसे घटिया इमली प्रयोग में लाई जाती है जो खाने योग्य नहीं होती। कर्नाटक सरकार ने पिछले दिनों 207 गोलगप्पे के पानी के सैंपलों को चेक करवाया गया तो उनमें से 53 असुरक्षित पाए गए। पाया गया कि गोलगप्पे का पानी तैयार करने के लिए नकली रंगों का प्रयोग किया जाता है। कई लोग हाजमा ठीक करने के लिए गोलगप्पे के पानी का सेवन करते हैं, डॉक्टर का कहना है कि यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक और घातक भी हो सकता है। धनिया पुदीने का प्रयोग बहुत कम लोग करते हैं, क्योंकि इसका पानी तैयार करने में काफी मेहनत लगती है। गोलगप्पे में एसिड का उपयोग करने से कई बार पेट में दर्द और अन्य पेट की बीमारियों का शिकार होना पड़ता है।
गोलगप्पे के शौकीनों को चेतावनी दी जा रही है कि वह अपनी सेहत का ध्यान रखते हुए जरा ध्यान से गोलगप्पे के पानी का सेवन करें। (विनायक फीचर्स)

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